संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर की विधानसभा चार में कांग्रेस की सूची में प्रत्याशी घोषित होने के बाद सबसे चर्चित सवाल इंदौर में चल रहा है कि कौन है राजा मंधवानी? बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने यही सवाल सोमवार को मीडिया से किया कि कौन मंधवानी मैं नहीं जानता हूं, जबकि मैं तो वहां से विधायक भी रहा हूं।
पाकिस्तान से आए माइग्रेंट है मंधवानी
राजा मंधवानी बिल्डर हैं। यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जैकोबाबाद जिले में 1963 में जन्मे और फिर 1997 में भारत (इंदौर) आए और 2009 में नागरिकता मिली। समाज में अपनी पकड़ रखने वाले प्रकाश राजदेव के जेकोबाबाद पंचायत के संयोजक बनने के दौरान डेढ़ साल पहले निर्विरोध कमेटी बनी और मंधवानी को अध्यक्ष का पद मिला। इस पंचायत में करीब चार हजार सदस्य हैं। मंधवानी के गौड़ परिवार से भी करीबी संबंध रहे हैं। इसके बाद समाजसेवी का तमगा लग गया और फिर इसी के साथ चुनाव के लिए सक्रिय हुए और कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा के करीब आए। करीब छह माह पहले कांग्रेस में शामिल हुए और फिर अब टिकट भी ले आए।
कांग्रेस के तीन सिंधी दावेदार चुप, बम के समर्थक विरोध में
मंधवानी के साथ ही सिंधी समाज से कांग्रेस के नेता ईश्वर झामदानी, मुकेश सचदेवा, गोपाल कोडवानी भी टिकट की मांग कर रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे यह सभी दरकिनार हो गए। वहीं शिक्षाविद् और कॉलेज संचालक अक्षय कांति बम का नाम आया। मंधवानी और बम के बीच कड़ी टक्कर थी, लेकिन आखिर में मंधवानी दाव मार गए और उधर, बम के समर्थकों ने विरोध शुरू कर दिया।
विधानसभा चार और सिंधी कनेक्शन
इंदौर विधानसभा चार और सिंधी समाज और प्रत्याशियों का कनेक्शन खासा पुराना रहा है। विधानसभा चार में सिंधी समाज के पहले 50 हजार मतदाता बताए जाते रहे हैं, हालांकि अब इनकी संख्या 35 हजार करीब बताई जाती है, बाकी अन्य विधानसभा राउ, विधानसभा पांच के रहवासी हो गए हैं। कुल 2.40 लाख मतदाता इस विधानसभा में हैं। इसी के चलते कांग्रेस बार-बार जीत के लिए सिंधी समाज से प्रत्याशी बनाती है। साल 1985 से 2018 तक के 33 साल के चुनाव में कांग्रेस ने तीन सिंधी प्रत्याशियों को टिकट दिया जिसमें अभी तक पहली और अंतिम जीत सिंधी प्रत्याशी की 1985 में ही हुई थी, दो बार प्रत्याशी हारे हैं। अब यह चौथी बार टिकट राजा मंधवानी को दिया गया है।
बीते चुनावों में क्या रही कांग्रेस के सिंधी प्रत्याशी की स्थिति
इंदौर विधानसभा चार में बीजेपी 1990 से चुनाव जीत रही है। कैलाश विजयवर्गीय का पहला चुनाव 1990 में विधानसभा चार से ही था। इसके बाद 1993, 1998, 2003 में लक्ष्मणसिंह गौड़ चुनाव जीते तो साल 2008, 2013 और 2018 में मालिनी गौड़ ने चुनाव जीता। साल 1985 में जब अंतिम बार कांग्रेस यहां जीती थी, तब कांग्रेस के सिंधी प्रत्याशी नंदलाल माटा थे, उन्होंने बीजेपी के श्रीवल्लभ शर्मा को 3851 वोट से हराया था। इसके बाद कांग्रेस ने 1998 में गोविंद मंधानी को टिकट दिया, लेकिन वह लक्ष्मण सिंह गौड़ से 15977 वोट से हारे थे, एक बार फिर कांग्रेस ने मंधानी को 2008 में टिकट दिया तब मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड ने उन्हें 28043 वोट से हराया था।
बीजेपी की ओर से लालवानी की लंबे से समय से इस पर नजर
उधर, बीजेपी की ओर से सांसद शंकर लालवानी की इस विधानसभा पर लंबे समय से नजर है। इस बार भी विरोध उठा तो उनकी संभावनाएं फिर से बनने लगी थी। सिंधी बाहुल्य होने के चलते वह दावेदार थे, लेकिन गौड़ परिवार पर ही 1993 से बीजेपी का भरोसा बना हुआ है और काफी विरोध के बाद भी एक बार फिर बीजेपी ने गौड़ परिवार को ही टिकट दिया और इस बार चुनाव मैदान में चौथी बार मालिनी गौड़ मैदान में होगी और उनके सामने पहली बार मैदान में उतरे राजा मंधवानी होंगे।